कच्चे तेल के बढ़ते दाम ने भारत के आर्थिक समीकरणों में उलट फेर शुरू कर दिया है। जिस तरह से कच्चे तेल की कीमत बढ़ रही है, उससे पेट्रोल और डीजल के दामों में बढ़ोतरी की संभावनाएं बन रही हैं। इससे महंगाई दर में बढ़ोतरी तय है। ऐसा होने पर ब्याज दरों में कमी की योजना पर नकारात्मक असर पड़ सकता है।
बढ़ोतरी का कारण
ईरान ने फ्रांस और ब्रिटेन को तेल की सप्लाई रोक दी है। इसके बाद स्पेन, इटली और ग्रीस को तेल की सप्लाई रोकने की आशंका से कच्चे तेल के दाम उफान पर हैं। अब यह 122 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गया है। सूत्रों के अनुसार, पेट्रोलियम मंत्रालय कच्चे तेल के दाम में तेजी पर नजर रखे हुए है। इस बाबत सरकार तेल कंपनियों और आरबीआई से बातचीत करेगी।
क्या है परेशानी
मार्केट एक्सपर्ट और विनायक इंक के प्रमुख विजय सिंह के अनुसार, ईरान की ओर से फ्रांस और ब्रिटेन की तेल की सप्लाई पर रोका जाना सहन किया जा सकता है। फ्रांस कुल खपत का मात्र 3 फीसदी तेल ईरान से आयात करता है। ब्रिटेन का मामला न के बराबर है। स्पेन अपनी खपत का कुल 13 प्रतिशत, इटली 15 प्रतिशत और ग्रीस करीब 30 प्रतिशत तेल ईरान से लेता है। अगर इन्हें तेल मिलना बंद हो गया तो वे डिमांड पूरी करने के लिए कहीं और हाथ पैर मारेंगे। इसका असर तेल कीमतों पर नजर आने लगा है। कीमत एक ही हफ्ते में 108 डॉलर से बढ़कर 120 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गई है। यह और बढ़ सकती है।
पेट्रोल और डीजल का बोझ
जब कच्चे तेल की कीमत 105 से 106 डॉलर प्रति बैरल थी, तब तेल कंपनियों को पेट्रोल पर करीब 8 रुपये प्रति लीटर का और डीजल पर करीब 11 रुपये का घाटा हो रहा था। सूत्रों के अनुसार, तेल कंपनियों ने सरकार पर पेट्रोल के दाम बढ़ाने के लिए दबाव बनाना शुरू कर दिया है। वरना, घाटा इतना अधिक हो जाएगा कि भरपाई मुश्किल हो जाएगी।
क्या हो पाएगी ब्याज दर में कटौती
घटती महंगाई दर के कारण ब्याज दरों में कटौती की उम्मीदें बढ़ी हुई हैं। मगर कच्चे तेल के बढ़ते दाम इन्हें कम कर सकते हैं। अगर सरकार ने पेट्रोल की कीमतें बढ़ाईं और डीजल को सरकारी नियंत्रण से मुक्त कर दिया या दाम बढ़ाए तो महंगाई दर में इजाफा होगा। ऐसे में आरबीआई किस सीमा तक ब्याज दरों में कमी पर अमल करेगा, इसको लेकर आशंका बनी हुई है।
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