राष्ट्रमंडल खेल घोटाले के मुख्य आरोपी सुरेश कलमाड़ी को भले ही जमानत मिल गई हो, लेकिन उनका दोबारा भारतीय खेल तंत्र पर काबिज होना जायज होगा या नहीं, इस पर बहस तेज हो चली है। खास तौर पर देश के खेल मंत्री तो बिल्कुल भी नहीं चाहते कि कलमाड़ी खेल तंत्र में फिर सक्रिय हों। वह बार-बार चेता रहे हैं कि भारतीय खेल जगत में कलमाड़ी की वापसी जायज नहीं होगी।
इतना सब होने के बावजूद भी कलमाड़ी भारतीय ओलंपिक संघ [आईओए] के अध्यक्ष बने हुए हैं। उन्होंने इस्तीफा नहीं दिया। उनके जेल जाने पर विजय कुमार मल्होत्रा को कार्यकारी अध्यक्ष बना दिया गया था, लेकिन अब जबकि वह जेल से बाहर आ चुके हैं तो उनके आईओए अध्यक्ष पद संभालने की संभावना को लेकर माहौल गर्म है। जहां खेल मंत्री स्पष्ट कर चुके हैं कि 'यह उचित नहीं होगा', वहीं अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति [आईओसी] के भी कान खड़े हो गए हैं। आईओए में भी खींच-तान मची हुई है। जेल से छूटने पर खुद कलमाड़ी से जब यह पूछा गया कि वह क्या करेंगे, तो उन्होंने कहा था, जोर नहीं लगाएंगे।
माकन ने इस पर टिप्पणी की थी कि यह कलमाड़ी की इच्छा पर नहीं छोड़ा जाएगा कि वे क्या करेंगे। माकन ने मंगलवार को फिर यही बात दोहराई। उन्होंने कहा कि कलमाड़ी आरोपी हैं और खेल मंत्रालय नहीं चाहेगा कि बरी होने से पहले वह आईओए में मौजूद रहें। फिर भी यदि ऐसा होता है तो मंत्रालय इससे असहज हो जाएगा। मंत्री ने साफ किया कि मंत्रालय कोई कदम उठाने नहीं जा रहा है, लेकिन मामले पर बारीक नजर बनी हुई है। उन्होंने कहा, हम खेल संघों के मामले में हस्तक्षेप नहीं कर सकते हैं, लेकिन हम इसे गंभीरता से ले रहे हैं। आईओए में कार्यकारी अध्यक्ष मल्होत्रा और सदस्य आरके आनंद को लेकर लड़ाई छिड़ी है।
माना जा रहा है कि कुछ लोग कलमाड़ी की वापसी चाहते हैं। माकन ने इसका हवाला देते हुए कहा कि 'यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि कुछ लोग कलमाड़ी के साथ खड़े हैं। मंत्रालय नहीं चाहेगा कि किसी आरोपी के हाथ में आईओए की कमान हो। जब तक कलमाड़ी आरोपों से बरी नहीं होते हैं, उनका पक्ष नहीं लिया जाना चाहिए।' इस बीच अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति ने भी आईओए से कलमाड़ी की स्थिति के बारे में जानकारी मांगी है। आइओए को पहले ही निर्देश दिया जा चुका था कि फिलहाल कलमाड़ी बैठकों में शामिल नहीं होंगे।
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